कुछ क्षण महात्मा गांधी बन जाते है !!मैं जब जब यह याद करता हूं तो असाधारण बेचैन हो जाता हूं। यह मोहनदास महात्मा ने अगर ऐसे विचार आजादी से पहले और आजादी के बाद रखे नहीं होते तो, इस देश का चित्र आज कुछ और होता।इस देश को पाकिस्तान बनने के बाद भी भारत में पनप रहे कई पाकिस्तान से जो तकलीफ हो रही है, जो राष्ट्रीय खर्च हो रहा है, जो सांस्कृतिक नुकसान हो रहा है उससे बचा जा सकता था। यह महात्मा क्यों लंपट नेहरू को कंट्रोल नहीं कर सका? मुस्लमान परस्त नेहरू ने बताया था एक्सीडेंट से हिंदू हूं लेकिन दिल से मुसलमान हूं, फिर भी यह मोहनदास क्यों न समझ पाया? एक बेचैनी सी दिल और दिमाग पर उमड़ कर छा जाती है! जो गांधी को पढ़कर कुछ नीतिमत्ता के मूल्य सीखे थे, वही गांधी के लिए अब दूसरे विचार आते है। क्यों हुआ ऐसा? इतने गहरे विचार में स्वयंभू ही खींचता चला जाता हूं। गांधी पर विचार करते करते शायद कुछ क्षणों के लिए खुद गांधी बन जाता हूं। वह गांधी की मनोदशा क्या यही थी ?आपको भी मेरे साथ जुड़नेकी कोशिश करें। वह महात्मा जिन्होंने सत्य के प्रयोग किए वह भी तो एक इंसान ही थे ना?कौन सी सनक,कौन सी चाहत?मैं तो महात्मा बन गया,मैं तो बापू बन गया!!👋👋लोग मेरे दर्शन के लिए उमड़ते हैं!😀शनैहि शनैहि अब भगवान बन जाऊंगा 😀करीब एक हाथ ही दूर हूं भगवान होने से!यह भारत की जनता मुझे महात्मा व बापू बुलाते है।वाकई, मैं भगवान बन जाऊंगा।महात्मा हो गया, पता ही नहीं चला,कब होगी मेरी पूरी आस महात्मा से भगवान होने की?कब मुझे बुलाया जाएगा भगवान गांधी?😜 लव कर दूं सत्य के प्रयोग दो चार और,कर दूं कुछ अनूठा, बनाया जाएगा मुझे भगवान,भगवान् बनाने वाले यही आम जनता मेरे भगवान है,चलो अब स्पीड करें,आजादी तो मिल चुकी,अब एक ही काम भगवान होने का!आओ असाधारण मानवता बहाएंकभी ना हुआ हो ऐसा कर दें, जिसस क्राइस्ट और भगवान महावीर से भी आगे जाए,चलो, भगवान बन जाए!अब एक ही तमन्ना, बस भगवान बन जाए।मैं जब जब यह याद करता हूं तो असाधारण बेचैन हो जाता हूं। यह मोहनदास महात्मा ने अगर ऐसे विचार आजादी से पहले और आजादी के बाद रखे नहीं होते तो, इस देश का चित्र आज कुछ और होता।इस देश को पाकिस्तान बनने के बाद भी भारत में पनप रहे कई पाकिस्तान से जो तकलीफ हो रही है, जो राष्ट्रीय खर्च हो रहा है, जो सांस्कृतिक नुकसान हो रहा है उससे बचा जा सकता था। यह महात्मा क्यों लंपट नेहरू को कंट्रोल नहीं कर सका? मुस्लमान परस्त नेहरू ने बताया था एक्सीडेंट से हिंदू हूं लेकिन दिल से मुसलमान हूं, फिर भी यह मोहनदास क्यों न समझ पाया? एक बेचैनी सी दिल और दिमाग पर उमड़ कर छा जाती है! जो गांधी को पढ़कर कुछ नीतिमत्ता के मूल्य सीखे थे, वही गांधी के लिए अब दूसरे विचार आते है। क्यों हुआ ऐसा? इतने गहरे विचार में स्वयंभू ही खींचता चला जाता हूं। गांधी पर विचार करते करते शायद कुछ क्षणों के लिए खुद गांधी बन जाता हूं। वह गांधी की मनोदशा क्या यही थी ?आपको भी मेरे साथ जुड़नेकी कोशिश करें। वह महात्मा जिन्होंने सत्य के प्रयोग किए वह भी तो एक इंसान ही थे ना?कौन सी सनक,कौन सी चाहत?मैं तो महात्मा बन गया,मैं तो बापू बन गया!!👋👋लोग मेरे दर्शन के लिए उमड़ते हैं!😀शनैहि शनैहि अब भगवान बन जाऊंगा 😀करीब एक हाथ ही दूर हूं भगवान होने से!यह भारत की जनता मुझे महात्मा व बापू बुलाते है।वाकई, मैं भगवान बन जाऊंगा।महात्मा हो गया, पता ही नहीं चला,कब होगी मेरी पूरी आस महात्मा से भगवान होने की?कब मुझे बुलाया जाएगा भगवान गांधी?😜 लव कर दूं सत्य के प्रयोग दो चार और,कर दूं कुछ अनूठा, बनाया जाएगा मुझे भगवान,भगवान् बनाने वाले यही आम जनता मेरे भगवान है,चलो अब स्पीड करें,आजादी तो मिल चुकी,अब एक ही काम भगवान होने का!आओ असाधारण मानवता बहाएंकभी ना हुआ हो ऐसा कर दें, जिसस क्राइस्ट और भगवान महावीर से भी आगे जाए,चलो, भगवान बन जाए!अब एक ही तमन्ना, बस भगवान बन जाए।
ઓક્ટોબર 28, 2020 P U Thakkar દ્વારા
मैं जब जब यह याद करता हूं तो असाधारण बेचैन हो जाता हूं। यह मोहनदास महात्मा ने अगर ऐसे विचार आजादी से पहले और आजादी के बाद रखे नहीं होते तो, इस देश का चित्र आज कुछ और होता।
इस देश को पाकिस्तान बनने के बाद भी भारत में पनप रहे कई पाकिस्तान से जो तकलीफ हो रही है, जो राष्ट्रीय खर्च हो रहा है, जो सांस्कृतिक नुकसान हो रहा है उससे बचा जा सकता था। यह महात्मा क्यों लंपट नेहरू को कंट्रोल नहीं कर सका? मुस्लमान परस्त नेहरू ने बताया था एक्सीडेंट से हिंदू हूं लेकिन दिल से मुसलमान हूं, फिर भी यह मोहनदास क्यों न समझ पाया? एक बेचैनी सी दिल और दिमाग पर उमड़ कर छा जाती है! जो गांधी को पढ़कर कुछ नीतिमत्ता के मूल्य सीखे थे, वही गांधी के लिए अब दूसरे विचार आते है। क्यों हुआ ऐसा? इतने गहरे विचार में स्वयंभू ही खींचता चला जाता हूं। गांधी पर विचार करते करते शायद कुछ क्षणों के लिए खुद गांधी बन जाता हूं। वह गांधी की मनोदशा क्या यही थी ?
आपको भी मेरे साथ जुड़नेकी कोशिश करें। वह महात्मा जिन्होंने सत्य के प्रयोग किए वह भी तो एक इंसान ही थे ना?
कौन सी सनक,
कौन सी चाहत?
मैं तो महात्मा बन गया,
मैं तो बापू बन गया!!
लोग मेरे दर्शन के लिए उमड़ते हैं!
शनैहि शनैहि अब भगवान बन जाऊंगा
करीब एक हाथ ही दूर हूं भगवान होने से!
यह भारत की जनता मुझे महात्मा व बापू बुलाते है।
वाकई, मैं भगवान बन जाऊंगा।
महात्मा हो गया, पता ही नहीं चला,
कब होगी मेरी पूरी आस महात्मा से भगवान होने की?
कब मुझे बुलाया जाएगा भगवान गांधी?
लव कर दूं सत्य के प्रयोग दो चार और,
कर दूं कुछ अनूठा, बनाया जाएगा मुझे भगवान,
भगवान् बनाने वाले यही आम जनता मेरे भगवान है,
चलो अब स्पीड करें,
आजादी तो मिल चुकी,
अब एक ही काम भगवान होने का!
आओ असाधारण मानवता बहाएं
कभी ना हुआ हो ऐसा कर दें, जिसस क्राइस्ट और भगवान महावीर से भी आगे जाए,
चलो, भगवान बन जाए!
अब एक ही तमन्ना, बस भगवान बन जाए।
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